मंगलवार, 5 जनवरी 2010

मृतकों का जन्म दिन क्यों मनाते हैं

हमारे एक मित्र ने अचानक एक सवाल किया कि यार यह बात समझ नहीं आती है कि लोग मृतकों का जन्म दिन क्यों मनाते हैं। उनके इस सवाल के बाद हम भी सोचने पर मजबूर हो गए हैं, कि वास्तव में जहां अपने देश में आधी से ज्यादा आबादी भूखी और नंगी है और लोगों के पास न तो खाने के लिए पैसे हैं और न तन ढ़कने के लिए कपड़े हैं, उस देश में बड़े-बड़े लोगों के जन्मदिन मरने के बाद भी क्यों मनाए जाते हैं। कुछ बड़े लोगों के जन्म दिन का जरूर यह फायदा हो जाता है, कि उस दिन गरीबों को कपड़े बांटे जाते हैं और खाना खिलाया जाता है, पर कितने लोग ऐसा करते हैं।देश के नेताओं के साथ बड़े लोगों का जन्म दिन मनाने की परंपरा आखिर क्यों है? मृतकों का जन्म दिन मनाने से क्या फायदा है?

5 टिप्पणियाँ:

संगीता पुरी 5 जनवरी 2010 को 8:27 am बजे  

मृतकों का जन्‍मदिन मनाते वक्‍त हम उन्‍हें याद करते हैं .. उनके बारे में चर्चा के क्रम में उनके बहुत सारे यादें ताजी होती हैं .. उनके गुणों और अवगुणों को याद करते हैं .. उससे जीवन के माध्‍यम से सीख लेते हैं .. महापुरूषों के जन्‍मदिन को त्‍यौहारों के रूप में मनाने का भी यही कारण है !!

ब्लॉ.ललित शर्मा 5 जनवरी 2010 को 10:00 am बजे  

मृतक कहां है? वे हमारी यादों मे समाए हैं।
जब तक यादें है वो जिंदा है।

मनोज कुमार 5 जनवरी 2010 को 11:03 am बजे  

आज हम मर जाएं तो कल मुझे लोग भूल जाएंगे .. जन्मदिन की बात तो छोड़िए ही। हां मैं बापू (राष्ट्रपिता) का जन्मदिन ज़रूर मनाता हूं।

डॉ टी एस दराल 5 जनवरी 2010 को 6:52 pm बजे  

अरे भैया, ११७ करोड़ की आबादी में दो चार लोगों के जन्मदिन मना भी लिए तो काहे का हंगामा।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 5 जनवरी 2010 को 8:32 pm बजे  

जिससे कि पुण्य-तिथि याद रहे!