टयूसन वाले सर बोले ----- अबे गधे होम वर्क क्यों नहीं करता तू?????
तो बच्चा बोला ------ तमीज से बात कर बे.....कस्टमर से ऐसे बात करते हैं
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टीचर ने पुछा ---- बताओ जो लोग गंदे काम करते हैं वो कहाँ जातें हैं???
छात्र --- जी बुद्धा गार्डेन, लोधी गार्डेन, पुराना किला, जापानी पार्क.........
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मुर्गा बोला --- आइ लव यू मेरी जान......तेरे लिए कुछ भी करूँगा.....
मुर्गी बोली ---- हाय मैं मर जावा.....सच क्या ???
मुर्गा बोला --- हाँ मेरी जान
मुर्गी बोली --- तो चल फिर अंडा दे आज से..............
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मैडम ने बोला ---- टुन्नू दस तक गिनो तो एक पप्पी दूंगी.....
टुन्नू ------ अगर १०० तक गिनू तो क्या मिलेगा???????
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संता अंडरवेअर लेने दुकान पर जाता हैं और एक अंडरवेअर चुन लेता हैं
दुकानदार --- यह पांच सौ का हैं
संता --- अबे डेलीवेअर चाहिए पार्टी वेअर नहीं...........
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संता नहा रहा था!!!!!!!!!!
बंता ने आवाज लगाई..........संता ऐसे ही बाहर आ गया
बंता बोला --- कुछ तो पहन लेता यार!!!!
संता अन्दर गया और हवाई चप्पल पहन कर आ गया
14 टिप्पणियाँ:
मजा आ गया सर जी.....
अब ये पहेलियाँ भी सुलझाइये......
..................
विलुप्त होती... नानी-दादी की बुझौअल, बुझौलिया, पहेलियाँ....बूझो तो जाने....
.........
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_23.html
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....
हा हा हा
मजेदार चुटकुले फ़ड्कते हुए
आनंद आ गया
बधाई
बोला --- आइ लव यू मेरी जान......तेरे लिए कुछ भी करूँगा.....मुर्गी बोली ---- हाय मैं मर जावा.....सच क्या ???मुर्गा बोला --- हाँ मेरी जान मुर्गी बोली --- तो चल फिर अंडा दे आज
ha ha ha ..... what an idea ..sir ji .....
हा हा कस्टमर से ऐसे बात करते हैं ... मजेदार चुटकुले
मजेदार
very good!!!
हा हा हा ! मज़ेदार चुटकले भाई। आनंद आ गया ।
इन चुटकुले लिखने वालों को ख़ुशवंत सिंह के अलावा आजतक किसी ने आदर नहीं दिया. और मैं ख़ुशवंत सिंह को इसीलिए इज़्ज़त की नज़र से देखता हूं न कि उनकी नानक नाम जहाज़ है या कि अ ट्रेन टू पाकिस्तान की वजह से.
मैं कई बार सोचता हूं कि आखि़र ये चुटकुले लिखता कौन होगा. फिर इसी बात से तसल्ली कर लेता हूं कि लोक-विरसे के लेखकों को भी कौन जानता है (और शायद ये रचनाएं इतनी सशक्त भी इसीलिए होती हैं कि इनकी रचना के पीछे कोई भी स्वार्थ नहीं रहता )...वर्ना आज तो फुसफसी चीज़े लिखकर भी पता नहीं कौन-कौन से 'श्री' पुरूस्कार जुगाड़े रहते हैं 'बड़े-बड़े' लोग.
लेखकों को साधुवाद व हंसने का अवसर प्रदान करने के लिए आपका धन्यवाद.
बढ़िया जी
बढिया है जी।
100 तक की गिनती तो बहुतों को आती है
हा हा हा बहुत खूब सब धर धर के रखे हैं आप ..मजा आ गया
अजय कुमार झा
mazedaar
हा हा हा..:-)
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