ऐसे वायरसों से डरते रहे तो बस समझो काम डल गया ...
बैठे ठाले मेरे दिल में ख्याल आया की आज होली के बाद पान की दूकान पर चलकर तबियत हरी भरी की जाए जिससे लबो पर मुस्कान आ जाए और लापता भाई लोगो की खोजखबर कर ली जाए ... टहलते टहलते जा पहुंचा पान की दूकान पर .
पान वाला बोला - महाराज कहाँ रहे ईद के चाँद हो गए भैय्या और सुनाओ ?
मैंने कहा पहले तुम जा बताओ कै तुम्हारी दूकान तो गणतंत्र दिवस से बंद है वो तो आज खुली दिखाई दे रही है . अरे हमारे ललित भैय्या कहाँ है कछु उनका पता ही नहीं चलता ?
पान वाला बोला - भैया का बताये उनके कंप्यूटर पर दुश्मन कीट का हमला हो गया था और महाराज के मित्र कीट दुश्मन कीट से सारी रात युद्ध करते रहे और महाभारत और पानीपत की तरह घनघोर लड़ाई चली और हमरे ललित महाराज के कंप्यूटर की हार्ड डिस्क शहीद हो गई .
सुनकर मेरी आँखों में आंसू आ गए मैंने मन ही मन में ललित जी की हार्ड डिस्क को शत शत नमन और प्रणाम किया फिर मैंने पान वाले से कहा - देखो वायरस ऐसे नहीं आते है दुश्मनों के द्वारा छोड़े जाते है . वायरस भी तरह तरह के होते हैं जैसे शब्द भेदी वायरस जो आदमियो के द्वारा आदमियो के ऊपर छोड़े जाते हैं जिससे अगला वायरसग्रस्त हो जाता है और सामने वाले आदमी का दिमाग गोल हो जाता है इस तरह के वायरस ब्लागिंग में भी पाए जाते हैं . दूसरा मेल वायरस जो मेल के द्वारा भेजे जाते है आपने जैसे ही किल्क किया और आपके ऊपर इनका हमला शुरू हो जाता है . तीसरे वे वायरस होते हैं जो हम खुद बुलाते हैं . खूब फक फिल्म और पोर्न देखो और वीडियो देखो तो वायरस आयेंगे ही .
पान वाला बीच में टोककर बीच में बोला - कहीं आपका आशय यह तो नहिहाई कै अपने ललित भइय्या जे सब खूब देखत हो तो वायरस आहे है हिन् . पानवाले के दिमाग की सोच को देखकर मुझे पहले तो खूब हंसी आयी दी मैंने पानवाले को खूब जोर से डपटकर कर कहा - चुप बे तै अपना पान लगा जे में सार है ये सब सोचने की बाते तो हम ब्लागर भाइयो की हैं और फिर पान बहार के साथ एक पान दबाया और अपनी राह पकड़ी .
चर्चा पान की दुकान पर - महेंद्र मिश्र
5 टिप्पणियाँ:
सही बात. नहीं डरते हम.
पान वाला सयाना लगता है, जो सही बात बोल गया, हम भी डरते है इन मुय़ें वायरस से जी
ब्लोगिंग के वायरस ज्यादा खतरनाक लगते हैं मिस्र जी ।
नारी-दिवस पर मातृ-शक्ति को नमन!
लगता है कि ये पान वाला भाई ललित जी के बहुत से राज जानता है :-)
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