स्वतंत्रता के छह दशक-क्या खोया क्या पाया -राजीव तनेजा
***राजीव तनेजा***
कहने को तो आज साठ साल से ज़्यादा हो चुके हैँ हमें पराधीनता की बेड़ियाँ तोड़ आज़ाद हुए लेकिन क्या आज भी हम सही मायने में आज़ाद हैँ? मेरे ख्याल से नहीं।
बेशक!...हमने छोटे से लेकर बड़े तक...हर क्षेत्र में खूब तरक्की की है लेकिन क्यों आज भी हम इटैलियन पिज़्ज़ा खाने को तथा सिंगापुर,मलेशिया,बैंकाक तथा दुबई और मॉरिशस में छुट्टियाँ मनाने को उतावले रहते हैँ?
- संचार क्रांति की बदौलत हमारे देश में मोबाईल धारकों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है लेकिन मोबाईल सैट अभी भी क्यों बाहरले देशों से ही बन कर आते हैँ?
- आज सैंकड़ों देसी चैनल हमारे मनोरंजन के लिए उपलब्ध हैँ लेकिन उनकी ब्राडकास्टिंग दूसरे देशों द्वारा उपलब्ध कराए गए उपग्रहों द्वारा ही क्यों होती है?
- ये सच है कि हमारे कल-कारखानों में एक से एक ...उम्दा से उम्दा आईटम तैयार होती है लेकिन फिर भी हम खिलौनों से लेकर कपड़े तक और प्लाईबोर्ड से लेकर रैडीमेड दरवाज़ों तक हर सामान को चीन से आयात कर गर्व तथा खुशी क्यों महसूस करते हैँ?
- क्यों आज हम में से बहुत से लोग हिन्दी जानने के बावजूद अँग्रेज़ी में बात करना पसन्द करते हैँ?....
- हिन्दी के राष्ट्रीय भाषा होने के बावजूद क्यों हम अँग्रेज़ी के गुलाम बने बैठे हैँ?
- आज हमारे देश का आम आदमी अपने देश के लिए काम करने के बजाय क्यों बाहरले देशों में बस अपना भविष्य उज्जवल करना चाहता है?
- आज दुनिया भर के होनहार लोगों के होते हुए भी हमें आधुनिक तकनीक के लिए बाहरले देशों का मुँह ताकना पड़ता है तो क्यों?
- आज हमसे...हमारी ही संसद में सवाल पूछने के नाम पे पैसा मांगा जाता है तो क्यों?
- क्यों खनिज पदार्थों के अंबार पे बैठे होने के बावजूद हमें बिजली उत्पादन के लिए यूरेनियम से लेकर तकनीक तक के लिए अमेरिका सहित तमाम देशों का पिच्छलग्गू बनना पड़ता है?
- आज अपनी मर्ज़ी से हम अपना नेता...अपनी सरकार चुन सकते हैँ लेकिन फिर भी किसी वोटर को चन्द रुपयों और दारू के बदले बिकते देखना पड़ता है तो क्यों?
15 टिप्पणियाँ:
बहुत सही सवाल उठाये हैं आपने । इनका सही ज़वाब ही हमें आज़ादी की ओर ले जायेगा ।
कम शब्दों में बड़ी बात कहने के लिए बधाई ।
अब एक बात :
एक आदमी ने बीबी से तंग आकर ज़हर खा लिया , लेकिन मरा नहीं ।
बीबी ने डांटते हुए कहा --कितनी बार कहा है ये चाइनीज चीज़ें मत ख़रीदा करो। लेकिन मानते ही कहाँ हो । कर दिए ना रूपये खराब ।
अपनी पोस्ट के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (16/8/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
... behatreen ....svatantrataa divas kee badhaai va shubhakaamanaayen !!!
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आप एवं आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ!
स्वंतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
आपने बिलकुल सही कहा, जिस दिन हमें अपनी भाषा, अपने देश और अपने देशवासियों पर गर्व होना शुरू हो जाएगा और विदेशियों की मोहताजगी समाप्त कर लेंगे उस दिन हम मानसिक गुलामी से आज़ाद होंगे और तभी असल तरक्की कर सकेंगे.
अंग्रेजी मानसिकता का तिरस्कार ही सही मायने में आजादी के पर्व को मनाना है
बन्दी है आजादी अपनी, छल के कारागारों में।
मैला-पंक समाया है, निर्मल नदियों की धारों में।।
--
मेरी ओर से स्वतन्त्रता-दिवस की
हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें!
--
वन्दे मातरम्!
राजीव भाई, बहुत अच्छा विश्लेषण प्रस्तूत किया है आपने।
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आप एवं आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ!
यथार्थ का चित्रण करती एक बेहतरीन पोस्ट. दरअसल हर साल देश में आतंक के साये में जनता को झूठी सी आजादी का अहसास कराते हुए, खुद बुलेट प्रूफ मंच के पीछे खड़े होकर का भाषण देते हुए देश का झंडा फहराने वालो से हर एक प्रश्न का जवाब माँगा जाना चाहिए.
सार्थक सवाल...उत्तर हम भारतियों को ही खोजने हैं ..
बदलाव के जिस दौर से हम गुजर रहे हैं बहुत कम खुशनसीब लोग होते हैं ऐसे.
bilkul sahi likha hai aapne.. in sawaalon ki taraf aamtor se kisi ka dhayaan nahi jaata ......
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