ब्लॉक माइंडस है हम सब अनिल भाई , बचपन से जो आदत पड़ी अपने बड़ों को पड़ोसियों को देखकर वह ही ठुंस गयी दिमाग में !! जब मैं पहली बार यूरोप गया था वियना में पहले ही दिन राह चलते किनारे थूक दिया था , आजतक उस वृद्धा की तीखी नजर नहीं भूलती जो मेरे पास से निकलते हुए घूरती गयी थी वाकई शर्मिंदगी लगी कि यह क्या सोंचेगी मेरे देश के बारे में ! तब से आजतक हाथ का कूड़ा जेब में रखने की आदत दाल ली जबतक कोई कूड़ेदान न दिखे ! बढ़िया विषय चुना है आपने !
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ब्लॉक माइंडस है हम सब अनिल भाई ,
बचपन से जो आदत पड़ी अपने बड़ों को पड़ोसियों को देखकर वह ही ठुंस गयी दिमाग में !!
जब मैं पहली बार यूरोप गया था वियना में पहले ही दिन राह चलते किनारे थूक दिया था , आजतक उस वृद्धा की तीखी नजर नहीं भूलती जो मेरे पास से निकलते हुए घूरती गयी थी वाकई शर्मिंदगी लगी कि यह क्या सोंचेगी मेरे देश के बारे में !
तब से आजतक हाथ का कूड़ा जेब में रखने की आदत दाल ली जबतक कोई कूड़ेदान न दिखे !
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