tag:blogger.com,1999:blog-1800578818916214815.post3426900324572615680..comments2023-10-03T19:02:00.108+05:30Comments on चर्चा पान की दुकान पर: ट्रेन में कवि सम्मलेनब्लॉ.ललित शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-1800578818916214815.post-3764395614668939032009-12-15T00:51:37.535+05:302009-12-15T00:51:37.535+05:30सबले पहिली यात्रा संस्मरण के रूप माँ कवी मन के चाह...सबले पहिली यात्रा संस्मरण के रूप माँ कवी मन के चाहे एला व्यथा कहो या व्यंग्य के रूप माँ लव बड़ सुग्घर लिखे हौ. एखर बर बधाई. भाई ललित जी अब्बड सुनना लगत हे कहाँ चल दे हौ आप. अब आप सोचत होहौ के आज बनिया कहाँ चल दिस. तौ आज बहुत अच्छा दिन रहिसे. मोर नोनी के कॉलेज माँ वार्षिकोत्सव रहिसे.उहें हमन चल दे रहें. ४ ठन इनाम मिलिस ओला. नाचे कूदे अउ गीत गाये बर. एक ठन ला छोड़ के सब माँ फर्स्ट आये हे.सूर्यकान्त गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/05578755806551691839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1800578818916214815.post-71746788577987854212009-12-07T14:44:46.551+05:302009-12-07T14:44:46.551+05:30वाह......मज़ा आ गया......ऐसा मौका हमें भी मिलेवाह......मज़ा आ गया......ऐसा मौका हमें भी मिलेरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1800578818916214815.post-15060742584249088482009-12-06T22:21:44.668+05:302009-12-06T22:21:44.668+05:30कवियों के भी जूनून होते है अपनी कविता को लेकर बढ़ि...कवियों के भी जूनून होते है अपनी कविता को लेकर बढ़िया ही है ना कहीं तो भीड़ इकठ्ठा किया...अच्छा विचार है अपनी रचनाएँ ठेलने का बहुत सही जगह है....बढ़िया संस्मरण..धन्यवादविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1800578818916214815.post-56234411625888133992009-12-06T17:53:53.940+05:302009-12-06T17:53:53.940+05:30चलो, बुढोति के लिए हमें भी एक रास्ता सूझा. :)चलो, बुढोति के लिए हमें भी एक रास्ता सूझा. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1800578818916214815.post-60232498307351195552009-12-06T16:13:17.396+05:302009-12-06T16:13:17.396+05:30ललित जी, कविता सुनने के एवज में चाय वाय पिलवाई कि ...ललित जी, कविता सुनने के एवज में चाय वाय पिलवाई कि नहीं कवि महोदय ने आपको?Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1800578818916214815.post-28973253243554535712009-12-06T10:36:09.137+05:302009-12-06T10:36:09.137+05:30इन्हीं खतरों को देख कर ही ट्रेन यात्रियों के बीमे ...इन्हीं खतरों को देख कर ही ट्रेन यात्रियों के बीमे की योजना बनाई गई थी .....<br />वर्ना बेचारों को दुर्घटना के बाद कहां कुछ मिलता है .....कम से कम कवि सम्मेलन के बाद तो मिल ही जाए...<br />हम उसी ट्रेन से ....आ रहे हैं ....अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1800578818916214815.post-7409449888719104502009-12-06T09:55:40.731+05:302009-12-06T09:55:40.731+05:30कविता के लिए ट्रेन भला माध्यम है।कविता के लिए ट्रेन भला माध्यम है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1800578818916214815.post-86044088691281535172009-12-06T08:02:54.685+05:302009-12-06T08:02:54.685+05:30दो साल तक मैँ दिल्ली से पानीपत के लिए डेली पसैंजर ...दो साल तक मैँ दिल्ली से पानीपत के लिए डेली पसैंजर था...ट्रेन में जब तक अपनी कहानियाँ दूसरों से पढवा ना लूँ...चैन ही नहीं पड़ता था...राजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1800578818916214815.post-2194221933357587172009-12-06T08:02:54.018+05:302009-12-06T08:02:54.018+05:30ये कवि सम्मलेन भी खूब रहा |ये कवि सम्मलेन भी खूब रहा |Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.com