गुरुवार, 17 दिसंबर 2009

ताऊ बोल्या मै पूछूं था??

ताऊ बोल्या मै पूछूं था


बता  तू  अकल बड़ी के भैंस........................
मास्टर जी ने सवाल लगाया के बतावे सुरेश
भैंस  में तै  पाड़ी  घटाई,झोट्टा रह गया शेष
बता तू अकल बड़ी के भैंस..........................


जाडा   घणा   पड़े  था   भाई, खूब  लगाई रेस
पहले  तो  कम्बल  ओढ़या, उस पे डाला खेस
बता तू अकल बड़ी के भैंस..........................


राधे नै  कुत्ते के पिल्लै  पकड़े, उसके  मुंडे केश
बिना उस्तरे नाइ मुंड गया ताऊ पे चल्या केश
बता तू अकल बड़ी के भैंस............................


बिना  चक्के  की  गाड्डी चाली रेल उडी परदेश
गार्ड  बेचारा  खड़ा  रह  गया  देखे  बाट   नरेश
बता तू अकल बड़ी के भैंस............................


एक पेड़ पे चालीस चिडिया तभी घटना घटी विशेष
शिकारी  की  एक गोली चाली बच गई कितनी शेष
बता तू अकल बड़ी के भैंस.................................



10 टिप्पणियाँ:

निर्मला कपिला 17 दिसंबर 2009 को 9:12 am बजे  

हमे तो भैंस ही बडी दिखे है आजकल मस्त पोस्ट बधाई

Unknown 17 दिसंबर 2009 को 9:16 am बजे  

अकल तो आपके छोटे से भेजे के भीतर रहती है तो छोटी ही हुई। भेजे के भीतर भैंस घुस ही नहीं सकती क्योंकि वह बड़ी होती है! :-)

ब्लॉ.ललित शर्मा 17 दिसंबर 2009 को 9:21 am बजे  

गोड़ लागी अवधिया महाराज, धन्य हो गये आपके दर्शन प्राप्त कर, अईसने दर्शन लाभ दे कर गा।

दिनेशराय द्विवेदी 17 दिसंबर 2009 को 9:31 am बजे  

अकल में भैंस मिक्स है।

mehek 17 दिसंबर 2009 को 9:50 am बजे  

yaha bhais badi lage hai,bahut badhiya rachana,muskan de gayi:)

ताऊ रामपुरिया 17 दिसंबर 2009 को 10:44 am बजे  

सबसे बडी भैंस होती है. उससे बडा कुछ नही.

रामराम.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" 17 दिसंबर 2009 को 6:57 pm बजे  

हमारे हिसाब से भी भैंस ही बडी हुई :)

राजीव तनेजा 19 दिसंबर 2009 को 12:16 am बजे  

वैसे तो अक्ल ही बड़ी होती हैँ भैंस से लेकिन जब से उसका चारा लालू खा गया...वो बेचारी छोटी हो गई है और लालू बड़ा हो गया है

मनोज कुमार 20 दिसंबर 2009 को 7:53 am बजे  

विचारोत्तेजक!

डॉ टी एस दराल 20 दिसंबर 2009 को 8:49 am बजे  

चाला पाड़ दिया ललित जी।
आपने तो पब्लिक ओपिनियन ही बदलवा दी।
इब एक भैंस हम भी खरीदनी पड़ेगी। हा हा हा !